जीवन परिचय
वात्सल्य रत्नाकर आचार्य श्री विमल सागर जी महाराज का जीवन परिचय भारत वर्ष की पुण्य धरा पर अवतरण के लिए व्याकुल भारत के उत्तर प्रदेश एटा जनपद के अंतर्गत जलेसर कस्वे में कोसमा ग्राम में जन्मे श्री नेमीचन्द्र के पिता श्री बिहारीलाल और माता कटोरीबाई ने कब सोचा था कि उनका पुत्र एक दिन भारत का संत शिरोमणी बन कर जन्म स्थान कोसम,कुल,जाति, पद्मावती परुवाल ,और वंश की कीर्ति को उज्जवल से निमज्जित करेगा । सं.1973 के आश्विन कृष्णा 7 का वह शुभ दिन था,बालक नेमीचन्द्र ने जन्म लिया।माँ की ममता बालक को 6 माह से अधिक अपना वात्सल न दे सकी। माँ के वियोग के बाद पिता एवं बुआ दुर्गादेवी ने पालन पोषण किया। बालक नेमीचन्द ने प्रारम्भिक शिक्षा गाँव की पाठशाला में पूर्ण की।तत्पश्चात गोपालदास वरैया दि. जैन सिद्धांत विद्यालय,मुरैना से शास्त्री परीक्षा उत्तीर्ण की।उनकी इस सफलता का श्रेय था उस भक्ति को जो उनकी णमोकार मंत्र के प्रति थी। उत्तर लिखने से पूर्व कॉपी के शीर्ष पर णमोकार मंत्र लिखा जाता। शास्त्री परीक्षा करने के बाद प्रधानाचार्य के रूप में पंडित ने...